अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
• वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने दिसंबर 2022 में यह विधेयक लोकसभा में पेश किया था और जिसे तब संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था | • 19 मंत्रालय से जुड़े 42 कानूनों के बदलेंगे 183 प्रावधान..| • दलील दी गई है कि उससे मुकदमों का बोझ कम होगा |
नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने एक और नया फैसला किया है जिसके लिए दलील दी गई है कि उससे मुकदमों का बोझ कम होगा। सरकार ने कारोबारी सुगमता बढ़ाने के और न्यायालयों में मुकदमों की आमद कम के लिए छोटे अपराधों में कारावास के प्रावधानों को खत्म करने का फैसला लिया है।
कहा जा रहा है कि ऐसी गलतियों के लिए अब केवल अर्थदण्ड लगाया जाएगा । इसके लिए जनविश्वास ( प्रावधान संशोधन) विधेयक 2023 को 12 जुलाई बुधवार को केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई। प्रस्तावित विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। विधेयक के जरिये 19 मंत्रालयों से जुड़े 42 कानूनों के 183 प्रावधानों में संशोधन करके छोटे जुर्म को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने दिसंबर 2022 में यह विधेयक लोकसभा में पेश किया था और जिसे तब संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था। कहा गया है कि 31 लोगों की उक्त समिति का गठन विशेष तौर पर इस मुद्दे पर चर्चा के लिए किया गया था। समिति ने उसके गठन के उद्देश्य के मुताबिक विधायी और विधि मामलों के विभागों के साथ उससे जुड़े सभी मंत्रालयों के साथ लम्बी चर्चा की। साथ ही सभी राज्यों से चर्चा के बाद इसी साल मार्च में समिति ने रिपोर्ट सौंपी थी। बजट सत्र के दूसरे चरण में इसे संसद के दोनों सदनों में रखा गया था। सरकार का मानना है कि देश के विकास की गति पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले और विनिवेशकों को हतोत्साहित करने वाले पुराने कानूनों से मुक्ति जरूरी है। इसके लिए जेल की जगह आत्म विश्वास का भाव पैदा होना चाहिए।
• राज्यों को भी संशोधन के लिए प्रेरित करे केन्द्र
समिति ने केन्द्र सरकार को राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को भी जनविश्वास विधेयक की तर्ज पर छोटे जुर्म को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए कानूनी उपाय करने को प्रेरित करने कहा है।
इन प्रावधानों में बदलाव के प्रावधान
मुख्यतः इन कानूनों में होगा संशोधन
अपराध की गंभीरता के आधार पर होगा जुर्माना
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि आर्थिक दण्ड की राशि अपराध की गंभीरता पर निर्भर करेगी। अलग - अलग गड़बड़ियों के लिए तय जुर्माने की राशि में हर तीसरे साल दस फीसदी की वृध्दि की जाएगी।
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
■ केन्द्र मैरिटल रेप को अपराध बनाने के खिलाफ
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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