नीति की सराहना, आक्रामक नीति से बैकफुट पर जा रहे नक्सली…
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■ राहत - छग हाईकोर्ट के फैसले पर दखल से इंकार -सुप्रीम कोर्ट
बिलासपुर। प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों में सहायक शिक्षक के पदों पर अब डीएड वाले करीब 3 तीन हजार लोगों की नियुक्ति का रास्ता अब साफ हो गया है। दरअसल इसमें सरकार ने पहले डीएड वालों की जगह बीएड वालों की नियुक्ति कर दी थी जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। इसमें बीएड वालों की नियुक्ति को हाईकोर्ड ने गलत बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के अप्रैल में दिये गए फैसले के खिलाफ बीएड अभ्यर्थियों और राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी। इससे जुड़ा सुप्रीम कोर्ट का 28 अगस्त का फैसला बुधवार 4 सितंबर को जारी किया गया। इसमें जस्टिस सुधांशु धूलिया के नेतृत्व वाली डिविजन बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले पर दखल देने से इंकार कर दिया।
शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि - देवेश शर्मा के मामले मेंं दिये गए फैसले की कॉपी राज्य सरकार को भेजे जाने के बाद भी बीएड वालों की नियुक्ति की गई जहां केवल डीएड वालों की नियुक्ति होनी थी। यह अवैध है। कहा गया है कि 2 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिविजन बेंच ने प्राइमरी स्कूलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती में बीएड कर नियुक्ति पाये लोगों की नियुक्तियां रद्द कर दी थीं। इसके साथ ही सरकार को 6 सप्ताह में पुनरीक्षित चयन सूची जारी करने के आदेश भी दिये थे। इसके खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एमएलपी लगाई थी।
बात यह है कि छत्तीसगढ़ शासन ने सहायक शिक्षकों करीब 6500 पदों पर भर्ती के लिए 4 मई 2023 को विज्ञापन जारी किया था। विज्ञापन में छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा (भर्ती तथा शैक्षणिक संवर्ग) भर्ती नियम 2019 में संशोधन की सूचना दी गई थी। इसके अनुसार सहायक शिक्षक की भर्ती के लिए स्नातक के बाद बीएड और डीएड अनिवार्य योग्यता रखी गई। 10 जून 2023 को परीक्षा आयोजित की गई जिसमें डीएड और बीएड करने वाले अभ्यर्थी शामिल हुए।
प्रक्रिया शुरू होने के बाद डीएड करने वालों ने शिक्षा विभाग को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले की जानकारी दी। बताया कि एनसीटीई द्वारा वर्ष 2018 में निर्धारित नियम के अनुसार सहायक शिक्षक पद के लिए बीएड करने वाले पात्र नहीं होंगे। परीक्षा से पहले ही विज्ञापन और भर्ती नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
डीएड करने वाले विकास सिंह, युवराज सिंह व अन्य ने याचिका में बताया कि डीएड में प्राइमरी में पढ़ने वालों के अध्ययन -अध्यापन के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इसी बीच राजस्थान के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को फैसला दिया और प्राइमरी सहायक शिक्षक के लिए बीएड वालों को अपात्र ठहराया।
शिक्षकों का दर्द - नौकरी के चले जाने से हम पर आजीविका का संकट, हमें दूसरी जगह समायोजित करें…. सहायक शिक्षकों का कहना है कि हम सभी सहायक शिक्षक छत्तीसगढ़ व्यापम द्वारा आयोजित परीक्षा पास करके मेरिट के आधार पर शासकीय सेवा में आए हैं। इनमें 71 फीसदी अनुसूचित जन जाति तथा अनुसूचित जाति से हैं। कुछ तो सेंट्रल और राज्य की नौकरी छोड़ कर इस नौकरी में आये हैं। इस नियुक्ति को उच्च न्यायालय ने अमान्य घोषित कर दिया है। इस फैसले के विरुध्द छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई। 28 अगस्त को मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। हम और हमारा पूरा परिवार इस नौकरी पर आधारित थे लेकिन अब इस नौकरी के चले जाने से हम पर आजीविका और आर्थिक के साथ -साथ मानसिक संकट भी आ गया है। कहा गया कि इस संकट से हमें उबारने के लिए कुछ विकल्प पर विचार कर उनकी नौकरी सुरक्षित रखी जाए। जैसे -हमें सहायक शिक्षक के ही वेतन पर शिक्षक( यूडीटी) के 15588 रिक्त पदों पर समायोजित किया जा सकता है। जिसमें इस पद के लिए तो विषय बाध्यता का भी प्रावधान नहीं है। हम सभी इसके लिए जरूरी अर्हताएं रखते हैं। इसके अलावा राज्य शासन ग्रेड -पे के समकक्ष नए पदों का सृजन कर माध्यमिक शाला या उच्चतर माध्यमिक शाला में शैक्षणिक सेवा प्रदान करने का अवसर मिले जो कि शिक्षक पद में पदोन्नत होने के बाद स्वतः ही समाप्त हो जाएगा। कहा गया कि एक और विकल्प के तौर पर यह कर सकते हैं कि प्रदेश सरकार द्वारा एक अध्यादेश लाकर इस नियुक्ति को सुरक्षित रखा जाए । निवेदन किया गया और कहा गया कि इस नियुक्ति को जारी रखने के लिए आवश्यक समाधान करने की अनुकंपा करें। |
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■ बंधन नहीं , नक्सली जहां मिलें वहां मारें - सुंदरराज
■ छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का किया उद्घाटन, ■ पर्यावरणीय संकट से निबटने में समान रूप से सहभागिता ■ छत्तीसगढ़ ने पूरा किया 4 लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य ■ जलवायु परिवर्तन से निबटने छग में हो रहा बेहतर काम
■ हमारे साझा सरोकार "निरंतर पहल" एक गम्भीर विमर्श की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका है जो युवा चेतना और लोकजागरण के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती और रोजगार इसके चार प्रमुख विषय हैं। इसके अलावा राजनीति, आर्थिकी, कला साहित्य और खेल - मनोरंजन इस पत्रिका अतिरिक्त आकर्षण हैं। पर्यावरण जैसा नाजुक और वैश्विक सरोकार इसकी प्रमुख प्रथमिकताओं में शामिल है। सुदीर्ध अनुभव वाले संपादकीय सहयोगियों के संपादन में पत्रिका बेहतर प्रतिसाद के साथ उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान तय कर रही है। छह महीने की इस शिशु पत्रिका का अत्यंत सुरुचिपूर्ण वेब पोर्टल: "निरंतर पहल डॉट इन "सुधी पाठको को सौपते हुए अत्यंत खुशी हो रही है। संपादक समीर दीवान
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