• 28 Apr, 2025

छत्तीसगढ़ में 50-60 साल से रह रहे 63 हजार शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता

छत्तीसगढ़ में 50-60 साल से रह रहे 63 हजार शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता

● रेसिडेंट परमिट से राजधानी रायपुर में रह रहे हैं 1125 पाकिस्तानी हिंदू

रायपुर। देश में सीएए लागू होने से छत्तीसगढ़ के करीब 63 हजार हिन्दू शरणार्थियों को लाभ होगा। ये शरणार्थी 50-60 साल से यहां छत्तीसगढ़ में बसे हैं लेकिन उनके पास भारत की नागरिकता नहीं है। ये सभी रेसिडेंट परमिट या वीजा लेकर यहां रह रहे हैं। कई लोगों के पास तो ये दस्तावेज भी नहीं है।

केन्द्रीय गृह मंत्री के रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2014 से पहले आए हुए 62,890 लोग बिना नागरिकता के ही रह रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा पाकिस्तानी और बांग्लादेशी शरणार्थी हैं। अकेले रायपुर शहर में ही 1625 से ज्यादा पाकिस्तानी शरणार्थी हैं जिनके पास रेसिडेंट परमिट और वीजा है। 1100 से ज्यादा बांग्लादेशी शरणार्थी हैं जिनके पास दस्तावेज ही नहीं हैं लेकिन अब वे रायपुर से मतदाता भी हो गए हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 31 अक्टूबर 1979 तक बस्तर के इलाके में 18458 शरणार्थियों को बसाया गया था। इन शरणार्थियों के लिए सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, जमीन सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा और सड़क निर्माण जैसे विकास के कई काम किये गए। इसी तरह कांकेर के पंखाजूर में भी बांग्लादेशी शरणार्थियों को बसाया गया था। पंखाजूर के 295 गांवों में से 133 गांवों में बांग्लादेशी शरणार्थी अभी भी रहते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक कांकेर की कुल 1.71 लाख की आबादी में एक लाख लोग बांग्ला बोलते हैं। वहीं पंखाजूर शहर की कुल 10, 201 लोगों की आबादी में करीब 95 फीसदी हिस्सा बांग्लादेश से आए हुए लोगों का है। इसी तहर रायपुर के माना में 500 से ज्यादा परिवारों को बसाया गया था जिनकी संख्या अब तो दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। 

पंखाजूर के 133 गांवों में सबसे ज्यादा रहते हैं बांग्लादेशी शरणार्थी

पुलिस के अनुसार रायपुर में 311 से ज्यादा विदेशी नागरिक हैं जो वीजा पर आए हुए हैं। इनमें से ज्यादातर एजुकेशनल वीजा पर हैं। कुछ टूरिस्ट वीजा पर आए हैं। उन्हें एक साल के लिए वीजा दिया जाता है। उन्हें हर साल वीजे की अवधि बढ़ानी पड़ती है जबकि 1625 लोग ऐसे हैं जो रेसिडेंट परमिट पर रह रहे हैं। जानकारी के मुताबिक 2016 में 500 परिवार वीजा पर आए थे, जो अब परमिट लेकर रहने लगे हैं। यही लोग अब नागरिकता लेना चाहते हैं, वे वापस अपने मूल देश में नहीं लौटना चाहते। वहीं सबसे ज्यादा बांग्लादेशी शरणार्थी पंखाजूर में  रहते हैं। यहां के 133 गांवों में इनकी बहुलता है। 

वीजा लेकर आए थे और इसे बार-बार  बढ़ाते थे...

अधिकारियों के अनुसार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से वीजा लेकर लोग आते थे। इसके बाद और रहने के लिए वीजा का आवेदन करते थे। केन्द्रीय गृह विभाग दस्तावेज की जांच और पुलिस सत्यापन के बाद वीजा बढ़ाता था। बाद मे तो दो साल का वीजा जारी होने लगा। लगातार सात साल रहने के बाद नागरिकता दी जाती है। 2016 में केन्द्र सरकार ने कुछ जिलों के कलेक्टर और गृहसचिल को शरणार्थियों को भारत की नागरिकता का अधिकार दिया था। छत्तीसगढ़ में सिर्फ रायपुर कलेक्टर और गृहसचिव को अधिकार था। 2021 में दुर्ग और बलौदाबाज़ार कलेक्टर को अपने जिलों के शरणार्थियों को नागरिका देने  का अधिकार दिया गया। बाकी जिले के लोगों को गृह सचिव को आवेदन देना होता है। इस व्यवस्था के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लोगों को नागरिकता देने में डरते थे इसलिए सालों बाद भी लोगों को नागरिकता नहीं मिली है। 

'देश में सीएए एक ऐतिहासिक निर्णय है। इससे छत्तीसगढ़ में रहने वाले गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भी भारत की नागरिकता मिल जाएगी। केन्द्र से गाइडलाइन मिलने पर उसके अनुसार प्रदेश भी प्रक्रिया में हिस्सा लेगा। '

- विजय शर्मा , गृह मंत्री छत्तीसगढ़