• 28 Apr, 2025

23 वां विधि आयोग- पुराने पड़ चुके कानूनों की समीक्षा भी होगी..

23 वां विधि आयोग-  पुराने पड़ चुके कानूनों की समीक्षा भी होगी..

■ समान नागरिक संहिंता के प्रारूप पर फिर से विचार करेगा विधि आयोग

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार द्वारा 23 वें विधि आयोग के गठन की घोषणा के साथ ही यूनिफॉर्म सिविल कोड( समान नागरिक संहिता) के कानूनी प्रारूप पर नये सिरे से विचार का रास्ता साफ हो गया है। विधि आयोग सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने की दिशा में काम करेगा।

इससे पहले जस्टिस बी.एस. चौहान की अध्यक्षता वाले 21 वें विधि आयोग ने राय जाहिर की थी कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड ( यूसीसी) की न तो जरूरत है और न ही वांछनीय है। इसके बाद 21 वें विधि वआयोग ने आंशिक रूप से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड के प्रारूप पर आगे कदम रखा।

इसके बाद जस्टिस रितुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले 22 वें विधि आयोग ने प्रारूप तैयार कर यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सार्वजनिक राय मांगी । बताया गया है कि इस महामंथन में करीब एक करोड़ सुझाव आयोग को मिले थे। सूत्रों के अनुसार अब 23 वें आयोग को सूसीसी के प्रारूप को बनाने के लिए आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

कमजोर वर्गों को प्रभावित करने वाले कानूनों की समीक्षा-

23 वें विधि आयोग को इन मुद्दों पर प्रमुखता से विचार करने का दायित्व सौंपा गया है। इनमें कुछ अहम मुद्दे इस प्रकार हैं-

  • वर्तमान में उन कानूनों की समीक्षा करना जो गरीबों और कमजोर वर्ग के लोगों को प्रभावित करते हैं-
  • देश में लैंगिक (जेंडर) समानता के लिए कानूनी सुधार सुझाना
  • कानून की प्रचलित प्रक्रियाओं व शब्दावरी का सरलीकरण करना
  • जस्टिस सिस्टम को और अधिक कारगर और कार्यकुशल बनाना ताकि न्याय देरी से न हो। 
     

बड़ी चुनौती- टैक्स ब्यूरोक्रेसी कानूनों का सरलीकरण

अर्थव्यवस्था में बाधक पुराने काूननों की समीक्षा आयोग के लिए चुनौती है। दरअसल नीति आयोग ने ऐसे कानूनों की बड़ी सूची तैयार की है जिन्हें वह विकसित भारत के रास्ते पर बड़ी रुकावट मानता है। इसके साथ ही टैक्स ब्यूरोक्रेसी और सरकारी नियमों के अनुपालन की भी बाधाएं दूर करने की चुनौती है। 

नीति आयोग की ही एक रिपोर्ट के अनुसार एक कंपनी को औसतन 1536 एक्ट और 69233 नियमों का अनुपालन करना होता है। साथ ही 6618 वार्षिक फाइलिंग का पेपर वर्कर करना होता है । टैक्स से जुड़े 54 केन्द्रीय कानून हैं। इसके साथ ही एक साल में 254 तक फाइलिंग करनी होती है। यह बड़ी चुनौती है। 

नए विधि आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा-

आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष चार पूर्णकालिक सदस्य औऱ एक सदस्य सचिव की नियुक्ति होगी। इनका कार्यकाल 3 साल का होगा। यह संस्था कानूनों को नये समय के हिसाब से प्रासंगिक बनाने, पुराने पड़ चुके कानूनों को हटाने और जस्टिस सिस्टम में होने वाली देरी को कम करने की दिशा में काम करेगी।