अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
■ समान नागरिक संहिंता के प्रारूप पर फिर से विचार करेगा विधि आयोग
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार द्वारा 23 वें विधि आयोग के गठन की घोषणा के साथ ही यूनिफॉर्म सिविल कोड( समान नागरिक संहिता) के कानूनी प्रारूप पर नये सिरे से विचार का रास्ता साफ हो गया है। विधि आयोग सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने की दिशा में काम करेगा।
इससे पहले जस्टिस बी.एस. चौहान की अध्यक्षता वाले 21 वें विधि आयोग ने राय जाहिर की थी कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड ( यूसीसी) की न तो जरूरत है और न ही वांछनीय है। इसके बाद 21 वें विधि वआयोग ने आंशिक रूप से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड के प्रारूप पर आगे कदम रखा।
इसके बाद जस्टिस रितुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले 22 वें विधि आयोग ने प्रारूप तैयार कर यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सार्वजनिक राय मांगी । बताया गया है कि इस महामंथन में करीब एक करोड़ सुझाव आयोग को मिले थे। सूत्रों के अनुसार अब 23 वें आयोग को सूसीसी के प्रारूप को बनाने के लिए आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कमजोर वर्गों को प्रभावित करने वाले कानूनों की समीक्षा-
23 वें विधि आयोग को इन मुद्दों पर प्रमुखता से विचार करने का दायित्व सौंपा गया है। इनमें कुछ अहम मुद्दे इस प्रकार हैं-
बड़ी चुनौती- टैक्स ब्यूरोक्रेसी कानूनों का सरलीकरण अर्थव्यवस्था में बाधक पुराने काूननों की समीक्षा आयोग के लिए चुनौती है। दरअसल नीति आयोग ने ऐसे कानूनों की बड़ी सूची तैयार की है जिन्हें वह विकसित भारत के रास्ते पर बड़ी रुकावट मानता है। इसके साथ ही टैक्स ब्यूरोक्रेसी और सरकारी नियमों के अनुपालन की भी बाधाएं दूर करने की चुनौती है। | नए विधि आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा- आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष चार पूर्णकालिक सदस्य औऱ एक सदस्य सचिव की नियुक्ति होगी। इनका कार्यकाल 3 साल का होगा। यह संस्था कानूनों को नये समय के हिसाब से प्रासंगिक बनाने, पुराने पड़ चुके कानूनों को हटाने और जस्टिस सिस्टम में होने वाली देरी को कम करने की दिशा में काम करेगी। |
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
■ हमारे साझा सरोकार "निरंतर पहल" एक गम्भीर विमर्श की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका है जो युवा चेतना और लोकजागरण के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती और रोजगार इसके चार प्रमुख विषय हैं। इसके अलावा राजनीति, आर्थिकी, कला साहित्य और खेल - मनोरंजन इस पत्रिका अतिरिक्त आकर्षण हैं। पर्यावरण जैसा नाजुक और वैश्विक सरोकार इसकी प्रमुख प्रथमिकताओं में शामिल है। सुदीर्ध अनुभव वाले संपादकीय सहयोगियों के संपादन में पत्रिका बेहतर प्रतिसाद के साथ उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान तय कर रही है। छह महीने की इस शिशु पत्रिका का अत्यंत सुरुचिपूर्ण वेब पोर्टल: "निरंतर पहल डॉट इन "सुधी पाठको को सौपते हुए अत्यंत खुशी हो रही है। संपादक समीर दीवान
Address
Raipur
Phone
+(91) 9893260359