• 28 Apr, 2025

बिना संघर्ष के नही मिला है हमें पृथक प्रदेश

बिना संघर्ष के नही मिला है हमें पृथक प्रदेश

एक नवम्बर छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस---

गोकुल सोनी, वरिष्ठ फ़ोटो जर्नलिस्ट , रायपुर
गोकुल सोनी, वरिष्ठ फ़ोटो जर्नलिस्ट , रायपुर


रायपुर। एक नवम्बर हमारे प्रदेश छत्तीसगढ़ का स्थापना दिवस है और प्रदेश सरकार सहित पूरा प्रदेश इस दिन को उत्सव की तरह मनाता है। यह पृथक प्रदेश हमे लंबे संघर्ष के बाद 2000 में मिल सका है। मध्यप्रदेश से भी पूर्व सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार  नाम से एक वृहत्तर मध्यप्रान्त था, फिर पचास के दशक के आखिर में डॉ खूबचन्द बघेल जैसे नेताओं के नेतृत्व में नागपुर विधानसभा में पहले प्रस्ताव और नए प्रदेश की मांग  रखी गई थी। तब नागपुर में ही  (सी पी एंड बरार ) की कैपिटल हुआ करता था।  स्व कवि बसंत दीवान ने डॉ बघेल के साथ मिलकर पृथक छत्तीसगढ़ आंदोलन में 1957 से लेकर 19868 तक सक्रिय संघर्ष में हिस्सा लिया था। वे अंचल के लोकप्रिय कवि, प्रसिद्ध छायाकार, नेता और समाजसेवी भी थे। मुंम्बई के प्रसिद्ध  सर जे. जे.  सकूल ऑफ फ़ाईन आर्ट से दीक्षित श्री बसंत दीवान मेरे मार्गदर्शक छायाकार भी थे।  

     कुछ लोग कहते है छतीसगढ़ राज्य हमे बिना मांगे ही मिल गया। लेकिन ऐसा नही है। छतीसगढ़ राज्य संघर्ष समिति सहित अनेक संस्थाओं, लोगों के द्वारा इसके लिए लम्बी लड़ाई लड़ी गयी है। जेल भरो आंदोलन हुआ है। हां ये बात बिल्कुल सही है कि हिंसात्मक आंदोलन कभी नहीं  हुआ। सभी आंदोलन शांतिपूर्वक हुए। हमें दाऊ आनन्द अग्रवाल के योगदान को भी नही भूलना चाहिए। 
 
       दाऊ आनन्द ने पृथक छतीसगढ़ की मांग को लेकर कई महीनों तक अकेले कलेक्ट्रेड गार्डन में धरना देकर बैठे रहे। मैंने खुद इन आन्दोलनों को होते हुए देखा है। उन आन्दोलनों की बहुत सी तस्वीरें मेरे पास सुरक्षित हैं। राज्य बनने के बाद की भी बड़ी कहानी है। कौन बनेगा मुख्यमंत्री से इस लड़ाई की शुरूआत हुई फिर मंत्रालय कहां बनेगा, विधानसभा भवन कहां बनना है इन सब बातों के लिए संघर्ष शुरू हुआ। इन सभी का मैं साक्षी रहा हूं।   
 
      कुछ तस्वीरें छत्तीसगढ़ राज्य संघर्ष समिति जिसके मुखिया विद़याचरण जी शुक्ल थे के द़वारा आयोजित जेल भरो आंदोलन की है। इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए सुभाष स्टेडियम को अस्थाई जेल बना कर आन्दोलनकारियों को यहां रखा गया था। चौथी और पांचवी तस्वीर भी इसी आन्दोलन की है। छटवीं तस्वीर राज्य के प्रथम मुख्यसचिव श्री अरूण कुमार जी की है। जब वे यहां पहले दिन आये तो उनके कक्ष में एक टेबल और सिर्फ एक कुर्सी ही थी।   
 
एक  तस्वीर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी की है। मुख्यमंत्री के सबसे बड़े दावेदार विद़याचरण जी ही थे लेकिन जब उन्हे मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो वे अपने निवास राधेश्याम भवन चले गये। दिग्विजय सिंह जी उनहे मनाने या मिलने जब राधेश्याम भवन पहुंचे तो विद़याभैया के समर्थकों ने उनके साथ झूमा-झटकी कर दिया जिससे उनके कुर्ते की जेब फट गयी। दसवीं तस्वीर उन कर्मचारियों की है जिन्होने आप्शन में छत्तीसगढ़ को चुना था और बिना तैयारी के यहां आ गये थे।  एक तस्वीर मत्रालय के लिए भवन चयन की है। जब डीके अस्पताल को इसके लिए उपयुक्त पाया गया।