• 28 Apr, 2025

असुरक्षित कर्ज पर सख्ती बैंकिग प्रणाली के हित में- आरबीआई गवर्नर

असुरक्षित कर्ज पर सख्ती बैंकिग प्रणाली के हित में- आरबीआई गवर्नर

• अब अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं बैंक एनबीएफसी

मुंबई। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया आरबीआई के गवर्नर शशिकांत दास ने कहा है कि हाल ही में असुरक्षित कर्ज से जुड़े नियमों को सख्त करना बैंकिंग प्रणाली के हित में है। यह बैंकिंग व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए सोच- समझ कर लिया गया ऐहतियात और लक्षित फैसला है। 

     दास ने बुधवार 22 नवंबर को  उद्योग मंडल फिक्की ( फेडेरेशन ऑफ इंडियन चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज)और भारतीय बैंक संघ ( आईबीए) की ओर से आयोजित सालाना एफआईबीएसी के कार्यक्रम में कहा बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है। बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां(एनबीएफसी) अब अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। हम चाहते हैं कि इसे बनाये रखने के लिए दोनों आत्मनिरीक्षण कर पता लगाएं कि संभावित जोखिम कहां से उत्पन्न हो सकते हैं। 

    बैंकों और एनपीएफसी पर यह सख्ती कब तक लागू रहेगी इस पर गवर्नर ने कहा कि नए नियमों की अंतिम तिथि के बारे में कहना अभी जल्दबाजी होगी। आरबीआई ने 22 नवंबर के पहले वाले सप्ताह बैंकों और एनबीएफसी के लिए व्यक्तिगत व क्रेडिट कार्ड कर्ज जैसे असुरक्षित  कर्ज के नियमों को सख्त करते हुए जोखिम भार में 25 फीसदी की बढ़ोतरी की है।

होम - ऑटो लोन पर इसलिए सख्ती नहीं

दास ने कहा होम व ऑटो लोन के अलावा छोटे कारोबारियों को दिये जाने वाले कर्ज को इस सख्त फैसले से बाहर रखा गया है। इस की प्रमुख वजह इन क्षेत्रों के जरिये हो रही वृध्दि को बनाये रखना है। साथ ही इस श्रेणी में दबाव बनने की 
स्थिति नहीं दीख रही है। 

खुद को मजबूत रखना है सबसे अच्छा बीमा है

गवर्नर ने वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों व उद्योग जगत से कहा - हम आपस में जुड़ी दुनिया में काफी अनिश्चित समय में रह रहे हैं। इससे समय समय पर नए जोखिम सामने आ रहे हैं। ऐसे में स्वयं को मजबूत करना किसी भी झटके  और अनिश्चितताओं की स्थिति में सबसे अच्छा बीमा है। 

  • एनबीएफसी क्षेत्र ं शुबैंको से काफी कर्ज ले रहा है।बैंक इस कर्ज का व्यक्तिगत स्तर पर लगातार मूल्यांकन करें। 
  • एनबीएफसी अपने वित्तपोषण के स्रोतों को व्यापक बनाने और बैंकों पर निर्भरता घटाने पर ध्यान केन्द्रित करें। 

बढ़ेंगी ब्याज दरें- एसबीआई

इस अवसर एसबीआई चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा सख्ती से फंड की लागत बढ़ने के साथ असुरक्षित कर्जों पर ब्याज दरें बढ़ेंगी। उच्च जोखिम भार के प्रभाव से दिसंबर तिमाही में शुध्द ब्याज मार्जिन पर 0.02 से 0.03 फीसदी का असर पड़ेगा, लेकिन अगली तिमाही में बेहतर तस्वीर सामने आएगी। 

रुपया- अन्य मुद्राओं के मुकाबले उतार -चढ़ाव कम अमरीकी बांड में रिटर्न में तेजी और मजबूत डॉलर के बावजूद भारतीय रुपये में अन्य प्रमुख देशों की मुद्राओं की तुलना में उतार-चढ़ाव कम है। 

  • गवर्नर दास ने कहा घरेलू मुद्रा पूरी तरह व्यवस्थित रही है। इसका श्रेय मजबूत वृहद आर्थिक बुनियाद और विदेशी मुद्रा भंडार की अच्छी स्थिति को जाता है। 
  • 22 नवंबर के पहले पिछले तीन या चार दिनेों में अमरीकी डॉलर सूचकांक थोड़ा नरम हुआ है। अमरीकी बांड रिटर्न में
    भी कमी आई है। 

महंगाई- स्थिति अभी नाजुक है

  महंगाई को लेकर स्थिति अब नियंत्रण में है लेकिन मुख्य महंगई की स्थिति नाजुक बनी हुई है जो खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर झटकों से प्रभावित होती रहती है। गवर्नर दास ने कहा उच्च कीमतों के लिए अमरीकी फेडेरल रिज़र्व को दोष नहीं दे रहे हैं जिसे महंगाई के मोर्चे पर परेशानियों के कारण तेजी से ब्याज दरें बढ़ानी पड़ीं। 
. आरबीआई की नीतियों का ऐसा कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि हमने हर कदम सूझबूझ से उठाया है। 

सूझबूझ से ब्याज निर्धारित करें एमएफआई

दास ने कहा ब्याज दरों के नियमन के दायरे से मुक्त करने के बावजूद कुछ एनबीएफसी व सूक्ष्म वित्तीय संस्थान ( एमएफआई) उच्च ब्याज मार्जिन का लाभ उठा रहे हैं । संस्थान ब्याज तय करने के लिए लचीली व्यवस्था का विवेकपूर्ण
तरीके से इस्तेमाल करें।  छोटी राशि के कर्ज देने वाले एमएफआई हाशिये पर खड़े ग्राहकों को सेवा देते हैं।  यह क्षेत्र वित्तीय समावेश बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय माध्यम के रूप में उभरा है।