• 28 Apr, 2025

शरद पवार को झटका अजीत की बगावत...

शरद पवार को झटका अजीत की बगावत...

• पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल व भुजबल समेत 40 विधायक भी बागी | • दावा किया कि पूरी पार्टी साथ है, 8 अन्य विधायक भी बने मंत्री | • शरद पवार ने कहा – मेरे लिए नई बात नहीं पहले भी देख चुका हूँ बगावतट |

मुंबई। महाराष्ट्र में अचानक ही सियासी तूफान आया हुआ है। यहां के दिग्गज नेता शरद पवार एक तरह से जब राजनीति की कमान अपनी बेटी सांसद सुप्रिया सुले के सुपुर्द करने की तैयारी कर चुके हैं ठीक उसी वक्त उनके ही भतीजे अजित पवार ने उन्हें बड़ा झटका दिया है।  वे शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को तोड़कर एकनाथ शिंदे सरकार में डिप्टी चीफ मिनिस्टर हो गए हैं। जैसे जैसे चुनाव का समय करीब आ रहा है नेता अपना सियासी कद बढ़ाने की कवायद तेज कर दे रहे हैं।  
 महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने दोपहर करीब तीन बजे अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई, शपथ लेने वाले उनके साथ 8 अन्य विधायक भी थे जिन्होंने मंत्री पद की शपथ ली।  इधर इस घटनाक्रम के बीच कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल, पिछड़ों के नेता छगन भुजबल के अलावा पार्टी में 53 में से 40 विधायक और 06 एमएलसी अजित के साथ बताये गए हैं।  जल्द ही लोकसभा और राज्यसभा में भी एनसीपी के टूट जाने के आसार हैं।  इतना ही नहीं अजित पवार ने पूरी पार्टी पर ही दावा ठोकते हुए अगला चुनाव एनसीपी के  बैनर तले ही लड़ने का एलान भी किया है।  
   वैसे भी शरद पवार के बाद अजित पवार ही सबसे बड़े नेता माने  जाते हैं । पिछले दिनों शरद पवार के पार्टी की बागडोर एक तरह से बेटी सुप्रिया सुले के हवाले करने की कोशिश के बाद ही संभवतः भतीजे अजित को यह कदम उठाना पड़ा यदि ऐसा नहीं होता तो कमान सीधे सुश्री सुले के हाथों में सरक जाती और नेतृत्व में अजित पवार की महत्वाकांक्षा को कोई जगह नसीब नहीं होनी थी। जाहिर है समय रहते सभी अपनी जगह सुरक्षित करने की होड़ में हैं।ठ 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने और सहयोगी दल शिवसेना के समर्थन से मुकरने के बाद उस समय भी अजित पवार ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।  तब पवार के दबाव में उन्हें अपना फैसला बदलकर यू टर्न लेना पड़ा था लेकिन इस बार एक नई रणनीति के तहत अजित पवार पूरी पार्टी राकांपा को ही साथ ले गए हैं। 
   रविवार 2 जुलाई की रात अजित ने सरकारी आवास देवगिरी में विधायकों की बैठक ली । कहा जाता है कि यहीं शिंदे सरकार के समर्थन में 40 विधायकों के हस्ताक्षर लिए गए। पत्र लेकर अजित राज्यपाल रमेश बैस से मिलने पहुंचे। अजित के साथ प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल और दिलीप वलसे पाटिल जैसे पार्टी के बड़े नेताओं के देर शाम राजभवन पहुंचने की खबर से ही बड़ा खेल होने का अंदेशा हो गया। कुछ ही देर बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और देवेन्द्र फड़नवीस भी राजभवन पहुंच गए। कुछ ही देर में राजभवन का दरबार हॉल सज गया और एनसीपी के विधायकों को शपथ दिलाई गई। 

बेटी सुप्रिया सुले को तरजीह देना भारी साबित हुआ..
वरिष्ठ नेता शरद पवार को अपनी विरासत बेटी सुप्रिया सुले के हाथों सौपने का संकेत देना ही भारी पड़ गया। जाहिर है पार्टी में बरसों से शरद पवार के साथ काम कर रहे अन्य और लोगों की महत्वाकांक्षाएं कुलबुला रहीं थीं। अजित चाहते थे कि पार्टी की कमान शरद के बाद उन्हें ही मिले। पर शरद यादव ने पिछले कुछ महीनों से यह संकेतों में ही साफ कर दिया था कि कमान बेटी सुश्री सुले को ही दी  जाएगी। बस इसी से असंतोष पनपना शुरु हो गया था।  अजित चाहते थे कि पार्टी की जिम्मेदारी उन्हें ही मिले। शरद को अजित की बगावत और पार्टी नेताओं पर उनकी पकड़ की खबर तो थी और इसीलिए कुछ महीने पहले उन्होंने रोटी पलटने की  बात कह कर अचानक इस्तीफे की घोषणा का भावनात्मक दांव चला था।  तब पार्टी उनके पीछे एकजुट हो गई थी तो इसी समय उन्होंने भतीजे अजित का पर कतरना शुरू किया । सुप्रिया और प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया।  राज्य इकाई की कमान भी अजित पवार को नहीं दी। 
  शरद पवार ने परोक्ष रूप से बेटी सुप्रिया को पार्टी की कमान सौंप दी लेकिन संगठन  व पार्टी पर अजित की पकड़ ढीली नहीं कर पाए। उन्हें लगा कि विधायक इसके  बाद सुप्रिया के पीछे खड़े रहेंगे।  बस शरद पवार यहीं धोखा खा गए।  जो नेता उनके भावनात्मक दांव में आये थे वे किसी वजह से उनकी बेटी सुप्रिया के साथ नहीं गए।  
तीन दिन में बुना ताना-बानानई बात नहीं – शरद पवारतो शिंदे के साथ जाने में क्या गलत है ...
महाराष्ट्र में हुए इस नाटकीय बदलाव का तानाबाना केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीएम एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की गुरूवार देर रात हुई बैठक में बुना गया।  तब तो यही कहा गया कि बैठक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर की जा रही है।  माना जा रहा है कि इसी बैठक में अजित पवार को सरकार में शामिल करने की रणनीति बनाई गई। एन सी पी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि अजित और कुछ सहयोगियों ने बगावत की है और यह मेरे लिए कोई नई बात नहीं है।  यह सब मैं पहले भी देख चका हूँ। 1980 में जिस पार्टी का नेतृत्व कर रहा था उसमें 58 विधायक थे,बाद में सभी चले गए, केवल 6 ही बचे।  लेकिन मैने संख्या को मजबूत किया और जिन्होंने मुझे छोड़ा था वे हार गये। दो दिन पहले पीएम मोदी ने कहा था कि एनसीपी खत्म हो चुकी है। भ्रष्टाचार के आरोपों का जिक्र किया था। मेरे कुछ साथियों के सरकार में शामिल होने साफ हो गया कि सभी आरोप मुक्त हो गए हैं। पूरी पार्टी हमारे साथ है। हमने उद्धव के साथ भी सरकार बनाई तो शिंदे के साथ जाने में क्या गलत है।  पीएम नरेन्द्र मोदी देश के विकास के लिए 9 साल से काम कर रहे हैं। मुझे लगा कि हमें भी उनका साथ देना चाहिए इसलिए हम राजग में शामिल हुए हैं। - अजित पवार