• 28 Apr, 2025

महिलाओं को पुलिस ने भीड़ को सौंपा, ये भानक है- सुप्रीम कोर्ट

महिलाओं को पुलिस ने भीड़ को सौंपा, ये भानक है- सुप्रीम कोर्ट

• मणिपुर हिंसाः सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में केन्द्र सरकार जांच को राजी | • मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ अपराध, नहीं चाहते पुलिस जांच करे | • मणिपुर वायरल वीडियो मामले में दोनो पीड़िता भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं | • पुलिस के जीरो एफआईआर दर्ज करने में 14 दिन क्यों लगे- सीजेआई ने पूछा |

नई दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मणिपुर में दो महिलाओं के सामूहिक दुष्कर्म के बाद उन्हें निर्वसन कर सड़क पर परेड कराना भयानक अपराध है और इसके बाद उन्हें पुलिस ने उग्र भीड़ के हवाले कर दिया और पुलिस ऐसा करने के बाद चुपचाप खड़ी रही । सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह सब सुनने के बाद हम नहीं चाहते कि पुलिस इस मामले की जांच करे। 
    सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर पुलिस से अब तक दर्ज प्राथमिकियों, उनमें उठाए गए कदमों की पूरी जानकारी एक अगस्त मंगलवार तक कोर्ट को देने के निर्देश दिये थे। कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यह संकेत दिए कि केन्द और मणिपुर सरकारों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद वहां स्थिति की निगरानी के लिए एसआईटी या पूर्व जजों की समिति गठित कर सकता है। 
  सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ वीडियो में नजर आने वाली दोनों पीडित महिलाओं की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीडिताओं ने उनके मामले की जांच विशेष जांच दल से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। 
   मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा कि निर्वस्त्र कर महिलाओं के सड़क पर परेड कराने की घटना 4 मई की थी तो पुलिस ने 14 दिन बाद 18 मई को मामला क्यों दर्ज किया। आखिर पुलिस क्या कर रही थी। एक एफआईआर 24 जून यानी एक महीने 3 तीन दिन बाद मजिस्ट्रेट  कोर्ट में क्यों ट्रांसफर की गई। सुनवाई के दौरान केन्द्र और राज्य की ओर से  पेश सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि यदि शीर्ष अदालत हिंसा की जांच के मामले की निगरानी का फैसला करता है तो केन्द्र सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं है। 

  • दूसरी घटनाओं की तुलना कर मणिपुर की घटनाओं को उचित नहीं ठहरा सकते
  • जिन्होंने सब कुछ गंवा दिया उन्हें राहत की जरूरत है
  • सुप्रीम कोर्ट की पीठः-   समय खत्म् हो रहा है..
  • सोलिसिटर जनरल तुषार मेहताः-  सभी जानकारी एक दिन में देना तार्किक रूप से संभव नहीं है। करीब छह हजार एफआईआर दर्ज हैं।
  • पीठ-   एफआईआर ऑन लाइन हैं।  जिन्होंने प्रिय जनों समेत सभी कुछ गंवाया है। सरकार को उनको राहत देने की जरूरत है। राज्य सरकार दर्ज जीरो एफआईआर की संख्या बताये ।  यह भी जानना चाहते हैं कि पुनर्वास के लिए क्या पैकेज दिया जा रहा है। 
कपिल सिब्बल ( पीड़ित महिलाओं के वकील) – पुलिस अपराधियों के साथ मिली हुई है। वही पीड़िताओं को भीड़ के पास ले गई । सीबीआई जांच से भरोसा पैदा नहीं होगा। जांच एसआईटी से होनी चाहिए।  
वकील इंदिरा जैसिंह ने कहा-  विश्वास निर्मित करने का एक तंत्र निर्मित किया जाना चाहिए।  ताकि ऐसी सभी दुष्कर्म पीड़िताएं अपनी बात कहने के लिए आगे आएं। 
अटार्नी जनरल आर वेंकटमणिः- कोर्ट जो जानकारी मांग रहा है उसे उपलब्ध कराने के लिए और समय दिया जाए।  
  • छत्तीसगढ़ और बंगाल के मामलों पर अभी विचार नहीं 
    सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा को अभूतपूर्व करार दिया है  और पं. बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ औऱ केरल जैसे विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में इसी तरह की कथित घटनाओं को लेकर दायर याचिकाओ पर विचार करने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केन्द्र सरकार के लिए झटका है जो मणिपुर के साथ अन्य राज्यो में हुई घटनाओं को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है।  मणिपुर में जातीय हिंसा से संबंधित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली शीर्ष अदालत को अधिवक्ता बांसुरी स्वराज ने बताया कि पं. बंगाल में महिलाओं के खिलाफ हुई  हिंसा की घटनाओं पर विचार करने की जरूरत है और जो तंत्र विकसित करने की मांग की गई है उसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जाना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा- मणिपुर में ..... सांप्रदायिक और जातीय हिंसा की स्थिति है।