अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
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• मणिपुर हिंसाः सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में केन्द्र सरकार जांच को राजी | • मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ अपराध, नहीं चाहते पुलिस जांच करे | • मणिपुर वायरल वीडियो मामले में दोनो पीड़िता भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं | • पुलिस के जीरो एफआईआर दर्ज करने में 14 दिन क्यों लगे- सीजेआई ने पूछा |
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मणिपुर में दो महिलाओं के सामूहिक दुष्कर्म के बाद उन्हें निर्वसन कर सड़क पर परेड कराना भयानक अपराध है और इसके बाद उन्हें पुलिस ने उग्र भीड़ के हवाले कर दिया और पुलिस ऐसा करने के बाद चुपचाप खड़ी रही । सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह सब सुनने के बाद हम नहीं चाहते कि पुलिस इस मामले की जांच करे।
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर पुलिस से अब तक दर्ज प्राथमिकियों, उनमें उठाए गए कदमों की पूरी जानकारी एक अगस्त मंगलवार तक कोर्ट को देने के निर्देश दिये थे। कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यह संकेत दिए कि केन्द और मणिपुर सरकारों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद वहां स्थिति की निगरानी के लिए एसआईटी या पूर्व जजों की समिति गठित कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ वीडियो में नजर आने वाली दोनों पीडित महिलाओं की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीडिताओं ने उनके मामले की जांच विशेष जांच दल से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा कि निर्वस्त्र कर महिलाओं के सड़क पर परेड कराने की घटना 4 मई की थी तो पुलिस ने 14 दिन बाद 18 मई को मामला क्यों दर्ज किया। आखिर पुलिस क्या कर रही थी। एक एफआईआर 24 जून यानी एक महीने 3 तीन दिन बाद मजिस्ट्रेट कोर्ट में क्यों ट्रांसफर की गई। सुनवाई के दौरान केन्द्र और राज्य की ओर से पेश सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि यदि शीर्ष अदालत हिंसा की जांच के मामले की निगरानी का फैसला करता है तो केन्द्र सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं है।
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कपिल सिब्बल ( पीड़ित महिलाओं के वकील) – पुलिस अपराधियों के साथ मिली हुई है। वही पीड़िताओं को भीड़ के पास ले गई । सीबीआई जांच से भरोसा पैदा नहीं होगा। जांच एसआईटी से होनी चाहिए। वकील इंदिरा जैसिंह ने कहा- विश्वास निर्मित करने का एक तंत्र निर्मित किया जाना चाहिए। ताकि ऐसी सभी दुष्कर्म पीड़िताएं अपनी बात कहने के लिए आगे आएं। अटार्नी जनरल आर वेंकटमणिः- कोर्ट जो जानकारी मांग रहा है उसे उपलब्ध कराने के लिए और समय दिया जाए। |
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■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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