• 28 Apr, 2025

अब चिट्ठियों की ओर लौट रहे हैं बच्चे ...

अब चिट्ठियों की ओर लौट रहे हैं बच्चे ...

• 9 अक्टूबर वर्ल्ड पोस्ट डे पर विशेष -- • विश्व के सबसे बड़े लेटर कार्निवाल में आते हैं 8-10 लोग, 7 लाख चिट्ठियां लिखी जा चुकीं हैं.. • डाकरुम दस साल पहले शुरूआत की गई थी, बच्चों को अमिताभ और गुलजार ने भी चिट्ठियों का जवाब दिया

नई दिल्ली। अभी जो पीढ़ी साठ की दशक पार करने वाली है उनकी जेहन में से चिट्ठी की याद कभी नहीं उतर सकती । संवाद का तो एक ही जरिया था सारी भावनाएं जिस कागज पर सवार होकर एक जगह से दूसरी जगह की सफर पर होती थीं वो थी चिट्ठियां। बदलते समय ने हमें फोन से होते हुए कई तरह के संवाद के प्लेटफार्म मुहय्या कराए कि एक पीढ़ी तो चिट्ठियों से दूर हो ही गई बल्कि नई को तो पता भी नहीं कि चिट्ठियों से भी एक समय काम चलता था। 
   ईमेल ने बची खुची कसर पूरी कर दी थी। 9 अक्टूबर वर्ल्ड पोस्ट डे के रूप में मनाया जाता है। डाक सेवाओं का महत्व बताने के लिए ही यह डे मनाया जाता है। विशेष बात यह है कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क है। हमारे देश में कुल डेढ़ लाख से ज्यादा पोस्ट ऑफिस हैं। अब चिट्ठियां लिखना कम हो गया है तो चिट्ठियां लिखने के महत्व को दर्शाने के लिए देश में लेटर कार्निवाल जैसे बड़े आयोजन किये जाने लगे हैं। इन कार्निवाल में बच्चे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। 

9 अक्टूबर को आज से दस साल पहले 2013 को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन की दो छात्राओं शिवानी मेहता और हरनेहमत कौर ने अपने कॉलेज में राइटिंग स्टाल लगाया था। यहीं से दोनों मित्रों ने चिट्ठियों की ताकत समझी शायद। इसके तीन साल बाद शिवानी और हरनेहमत ने इलाहाबाद में एक लेटर राइटिंग कार्निवाल शुरू करने की सोची। इसमें बड़ों से भी ज्यादा बच्चों ने बढ़ -चढ़ कर उत्साह से हिस्सा लिया। इसी के बाद इन दोनों बच्चों ने डाकरुम की शुरूआत की, यह एक कल्टरल इंटरप्राइज है। 
     चंडीगढ़ में भी डाकरूम ने लेटर कार्निवाल आयोजित किया था। डाकरुम की फाउंडर शिवानी मेहता ने बताया कि अब तक उनके कार्निवाल में सात 7 लाख से ज्यादा खत लिखे जा चुके हैं। हर साल औसतन 8 से 10 हजार बच्चे लेटर राइटिंग कार्निवाल में हिस्सा लेते हैं इस एक बात से ही इस इवेंट की गुणवत्ता और महत्व का अंदाजा हो जाता है।
   शिवानी बताती हैं कि आजकल  के बच्चों को असली डाक की तो जानकारी ही नहीं है। इसलिए हम कार्निवाल में एक सचमुच के डाकिये को आमंत्रित करते हैं। वे बच्चों के सामने अपने तरह तरह अनुभव साझा करते हैं। खास यह था कि कार्निवाल में बच्चों ने अपने-अपने रोल मॉडल को भी यहां से चिट्ठियां लिखीं।
   अमिताभ बच्चन, गुलजार और अनुपम खेर जैसे बड़े सिनेमा के अभिनेताओं और लेखकों ने बच्चों के खतों के जबाव भी दिये हैं। शिवानी कहती हैं कि इस प्रयास के जरिये हमारा लोगों को संदेश है कि चिट्ठी लिखने से डिजिटल डिटॉक्स होता है और आपको लोगों से जुड़ाव महसूस होता है। मेंटल वेलनेस, आर्ट के प्रति अभिरुचि और धैर्य  भी बढ़ता है और ये सब हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं।

इन युवाओं ने चिट्ठी लिखने को दोबारा लोकप्रिय बनाया 
टोबी लिटिल-  

इग्लैंड के रहने वाले टोबी लिटिल जब महज पांच साल के थे उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों के कम से कम एक व्यक्ति को खत लिखने का निर्णय लिया था। दरअसल खत लिखने के बहाने टोबी विश्व को बेहतर तरीके से समझना चाहते थे। टोबी अभी सिर्फ 15 साल के हैं। उन्होंने लगभग हर देश के किसी न किसी व्यक्ति को खत लिखा है। इन्होंने इतनी सी वय में एक किताब -डियर वर्ल्ड आउ आर यू लिखी है जिसमें उन्होंने अपने लिखे हुए सारे पत्र प्रकाशित किये हैं।
रस्बिन अब्बास –  20 साल की रस्बिन अब्बास अपने गांव से कभी बाहर ही नहीं निकलीं लेकिन सिर्फ इतने भर से उनकी दुनिया छोटी नहीं है। 43 देशों में उनके दोस्त रहते हैं। सोशल मीडिया के दौर में वह हाथ से लोगों को चिट्ठी लिखती है इसके बाद उन चिट्ठियों के जवाब भी खूबसूरत अल्फाजों में आते हैं। अब तक देश दुनिया के 70 लेटर्स का खजाना उनके पास है। अभी रस्बिन के पास दुनिया के 40 विभिन्न देशों में रहने वालों के 70 लेटर्स का खजाना है। उसका कहना है कि लगभग इतने ही पत्र वह भी लिख चुकी है।  वह बताती है कि इन टी बैग के साथ लोग अक्सर चॉकलेट, टी बैग और कलाकृतियां भी भेजते हैं।