कार जो सड़क पर फर्राट भरती और नदी में तैरती है..
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भव्य मेले में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के पंडाल सजे थे
रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस एक नवंबर को राज्यभर में मनाया गया। राजधानी के साइंस कॉलेज ग्राउंड में हर साल की तरह इस बार भी भव्य मेला लगाया गया जिसमें राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के पंडाल सजे थे जिसमें उन विभागों के विकास कार्यक्रमों और उपलब्धियों का मॉडलों और चित्रों से प्रदर्शन किया गया था। स्थापना दिवस पर राज्य अलंकरण समारोह में छत्तीसगढ़ की महान विभूतियों को पुरस्कृत भी किया गया। इससे चार दिन पहले 28 अक्टूबर से राष्ट्रीय आदिवासी मेला भी लगाया गया था जिसमें देश और विदेशों से आए आदिवासी समूहों ने अनेक रंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
दो साल तक कोरोना के कारण उत्सव प्रतिकात्मक ढंग से मनाए जाते रहे किन्तु इस बार पारंपरिक रूप से इसका आयोजन किया गया हालांकि कोरोना प्रोटोकॉल का मेले में पालन किया गया पर वैसा उत्साह नजर नहीं आया जैसे कोरोना के पहले के सालों में देखने मिलता रहा। सरकारी आयोजन था तो सरकारी अमले की प्रतिबध्दता थी कि यह आयोजन सफल रहे पर आधे लोग इस पक्ष में नहीं थे उनका कहना था कि ऐसे कठिन समय में जबकि कोराना की तीसरी लहर के आमद की आशंका जताई जा रही है इस तरह के आयोजन को टाला जा सकता था। कुछ सरकारी अफसर भी दबी जुबान से यह कहते सुने गए कि इधर पश्चिम के देशों से तीसरी लहर और कोरोना की बिगड़ती स्थिति की रोज आ रही खबरों के बीच इस तरह के भीड़ वाले आयोजन से बचना चाहिए था।
इस बार अक्टूबर के आखिर में 28 तारीख से शुरू हुए उत्सव में रौनक तो थी पर उत्साह का स्तर वैसा नहीं दिखा जो अक्सर इस अवसर पर होता – दिखता रहा है । जब शुरू कर दिया गया था तो उसे अनुष्ठान की तरह पूरा भी किया गया।
इस मेले में आने वाले लोगों में एक वर्ग उन लोगों का भी था जो दो साल तक कोरोना के कहर से हलाकान दुनिया से बाहर निकलना चाहता था तो इस तरह के आयोजन उनकी ऐसी इच्छा पूरी करने में मदद करते दिखे। बुरी खबरें सुन और हादसों का हिस्सा बनते हर दूसरे घर से लोगों ने इसे सामान्य हो रहे जीवन में लौटने के एक सुगम और सुलभ उपाय की तरह देखा और ऐसा करने में कोरोना की दूसरी लहर के बाद से दुखों का पहाड़ ढो रहे लोगों को लगा कि ये उनके अपने शहर में इतनी गमगीनी के बाद उत्सव के दिन लौटाते हुए से कुछ बड़े ही सुखद उत्सव के अवसर हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। राज्योत्सव 2021 के इस एक दिवसीय आयोजन में अलग अलग संस्थाओं से विभिन्न कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी जा रहीं थीं।
2000 में हुआ था गठन
एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था। आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक छत्तीसगढ़ का सर्वप्रथम उपयोग 1795 में हुआ था। छत्तीसगढ़ शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर इतिहासकारों में कोई एक मत नहीं। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक कलचूरी काल में छत्तीसगढ़ आधिकारिक रुप से 36 गढ़ों में बटा था । इन्हीं 36 गढ़ों के नाम पर छत्तीसगढ़ नाम की व्युत्पति हुई।
शुरूआती दौर में करना पड़ा संघर्ष
छत्तीसगढ़ जब मध्यप्रदेश से अलग होकर नया राज्य बना उस वक्त आर्थिक रूप से यह काफी पिछड़ा हुआ था। उस समय प्रति व्यक्ति आय दस हजार एक सौ पच्चीस रूपये मात्र थी जो अब बढ़ कर 98,281 रुपये हो चुकी है।इस तरह देखें तो पिछले 20 सालों में छत्तीसगढ़ के लोगों की आय में 10 गुना की वृध्द हुई है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बढ़े कदम
छत्तीसगढ़ अपने निर्माण के वक्त स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बेहद मामूली संसाधन वाला क्षेत्र था। 21 सालों में इस क्षेत्र में भी काफी काम हुए हैं। इसे भी शिक्षा विभाग के पंडाल में प्रदर्शित किया गया था। जब राज्य का गठन हुआ था उस समय प्रदेश में महज एक ही मेडिकल कॉलेज हुआ करता था। आज इनकी संख्या छह से अधिक हो गई है। आज प्रदेश में आईआईएम, आईआईटी, ट्रिपल आईटी, एनआईटी, एम्स , लॉ यूनिवर्सिटी जैसे कई बड़े शिक्षण संस्थान खुल गए हैं । इसके अलावा स्कूली शिक्षा में भी उल्लेखनीय विकास हुआ है जिसे पंडाल में प्रदर्शित किया गया था।
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■ हमारे साझा सरोकार "निरंतर पहल" एक गम्भीर विमर्श की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका है जो युवा चेतना और लोकजागरण के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती और रोजगार इसके चार प्रमुख विषय हैं। इसके अलावा राजनीति, आर्थिकी, कला साहित्य और खेल - मनोरंजन इस पत्रिका अतिरिक्त आकर्षण हैं। पर्यावरण जैसा नाजुक और वैश्विक सरोकार इसकी प्रमुख प्रथमिकताओं में शामिल है। सुदीर्ध अनुभव वाले संपादकीय सहयोगियों के संपादन में पत्रिका बेहतर प्रतिसाद के साथ उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान तय कर रही है। छह महीने की इस शिशु पत्रिका का अत्यंत सुरुचिपूर्ण वेब पोर्टल: "निरंतर पहल डॉट इन "सुधी पाठको को सौपते हुए अत्यंत खुशी हो रही है। संपादक समीर दीवान
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