अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
ढाका। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सेना की शक्तियां बढ़ा दी हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिम सरकार ने तत्काल प्रभाव से पूरे देश में सेना को विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियां दे दी हैं। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर छात्र आंदोलन तीव्र हुआ तो पांच अगस्त को पूर्व पीएम शेख हसीना को बांग्लादेश से भागना पड़ा था। अब इस ऐतिहासिक घटना के डेढ माह बाद ही बीएनपी सहित विपक्षी दलों ने चुनाव की मांग तेज कर दी है। इसी बीच यूनुस की सरकार को उक्त फैसला करना पड़ा ।
बांग्लादेश सरकार की अधिसूचना के मुताबिक सेना के अधिकारी अगले 60 दिनों के लिए पूरे बांग्लादेश में जिला मजिस्ट्रेट्स की देखरेख में कार्यकारी मजिस्ट्रेट के रूप में काम कर सकेंगे। यानी इस तरह अब आगामी दो माह तक बांग्लादेश में सेना ही सरकार है।
अंतरिम सरकार के एक सलाहकार ने कहा है कि मजिस्ट्रेट की शक्ति मिलने के बाद सेना के अफसरों के पास लोगों को गिरफ्तार करने और उन्हे हिरासत में लेने का अधिकार भी होगा। यहां तक कि आत्मरक्षा या ऐसी ही किसी स्थिति के निर्मित होने पर अफसर गोली भी चला सकता है। सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा है कि सेना के अफसर इस विशेषाधिकार का गलत इस्तेमाल नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हालात सुधर जाने पर इसकी भी जरूरत नहीं रह जाएगी।
हमले के बाद से कई पुलिस कर्मी काम पर नहीं लौटे ..
शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के गिरने के बाद पिछले डेढ़ माह से बहुत से पुलिस कर्मी थानों में नहीं आ रहे हैं। पांच 5 अगस्त को शेख हसीना के देश छोड़कर जाने के बाद 664 में से 450 से अधिक पुलिस स्टेशनों पर हमले किए गए थे। हमले के बाद बांग्लादेश पुलिस अधीनस्थ कर्मचारी संघ ने 6 अगस्त को अनियतकालीन हड़ताल की घोषणा की थी। गृह मंत्रालय के तत्कालीन सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल सेवानिवृत एम सखावत हुसैन के साथ कई बैठकोंं के बाद 10 अगस्त को हड़ताल वापिस ले ली गई थी। इसके बाद भी सशंकित कई पुलिस अफसर थानों में हाजिरी नहीं दे रहे हैं।
विशेषज्ञों ने कहा -क्या सरकार को मजिस्ट्रेट्स पर यकीन नहीं
देश में स्थिरता के लिए चुनाव जरूरी- बीएनपी सेना की शक्ति बढ़ानेका फैसला उस दिन किया गया जिस दिन विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के हजारों कार्यकर्ता ढाका की सड़कों पर अपनी मांग लेकर उतर आए थे और चुनाव के जरिए लोकतांत्रिक बदलाव की मांग की। वे सब बीएनपी मुख्यालय के बाहर एकत्र हुए और नारे लगाते हुए नए चुनाव कराने की मांग की क्योंकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अभी तक यह नहीं बताया है कि देश में चुनाव कब होंगे। विदित है कि शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद बीएनपी ने तीन महीने के भीतर चुनाव कराने की मांग की थी। बाद में बीएनपी और देश की कट्टरपंथी इस्लामिस्ट जमात ए इस्लामी पार्टी ने कहा थाि कि वह चुनाव से पहले यूनुसे के नेतृत्व वाली सरकार को और समय देना चाहती है। पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने मंगलवार 17 सितंबर को अपने समर्थकों को ऑन लाइन संबोधित किया। तारिक ने कहा कि केवल एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव ही बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित कर सकता है। |
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हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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