कार जो सड़क पर फर्राट भरती और नदी में तैरती है..
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मुंबई। लोन के बाजार पर आरबीआई की सख्ती का असर दीखने लगा है विशेष रूप से क्रेडिट कार्ड जैसे असुरक्षित कर्ज पर। इस साल जून तक बैंकोंं से लिए गए गोल्ड लोन 30 प्रतिशत तक बढ़ गए। इसके मुकाबले असुरक्षित पर्सनल लोन की ग्रोथ इससे आधी यानी केवल 15 फीसदी ही रही। इसके चलते कुल पर्सनल लोन में गोल्ड लोन की हिस्सेदारी 20 महीनों के ऊंचे स्तर 2.3 फीसदी पर पहुंच गई।
इससे पहले गोल्ड लोन में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी 81.6 फीसदी बढोतरी 2021 में हुई थी तब कोविड की परेशानियों से निबटने के लिए लोगों ने सोना गिरवी रख कर कर्ज लिया था। बहरहाल जून तक सोना गिरवी रखकर बैंकों से लिए गए लोन की कुल बकाया राशि 1.24 लाख करोड़ हो गई है। रिज़र्व बैंंक के आकड़ों के मुताबिक अप्रैल में खत्म वित्त वर्ष 2023-24 में संस्थागत गोल्ड लोन का कुल मार्केट 7.1 लाख करोड़ रुपये का हो गया था। पीडब्ल्यू सी की रिपोर्ट कहती है कि अगले 5 वर्षों में गोल्ड लोन मार्केट दोगुना होकर 14.19 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
5 वर्षों में गोल्ड लोन 14.19 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है…
गोल्ड लोन की मांग बढ़ने की बड़ी वजह यह है कि उसकी ब्याज दरें सालाना 8.50 प्रतिशत से शुरू होती हैं। इस पर अधिकतम ब्याज दर 17.90 फीसदी ही है। लेकिन पर्सनल लोन की सालाना ब्याज दर 9.99 प्रतिशत से शुरू होती है और ऐसे लोन की अधिकतम ब्याजदर 44 प्रतिशत तक है। दरअसल गोल्ड लोन को सेक्योर्ड लोन समझा जाता है जबकि वहीं ज्यादातर पर्सनल लोन असुरक्षित होते हैं। इंडेल मनी के सीईओ उमेश मोहनन के मुताबिक रिज़र्व बैंक ने अनसेक्यूर्ड लोन की शर्तें कड़ी कर दी हैं। इसके चलते बैंक और एनबीएफसी गोल्ड लोन जैसे सुरक्षित प्रोडक्ट पर फोकस करने लगे हैं। बैंक और गोल्ड लोन कंपनियां आक्रामक मार्केटिंग भी कर रही हैं।
मौके का फायदा- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में रिटेल निवेश 63 फीसदी बढ़ा आरबीआई के रिटेल डायरेक्ट ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश तेजी से बढ़ रहा है। 9 सितंबर तक एसजीबी में रिटेल निवेशकों की होल्डिंग सालाना 63 फीसदी बढकर 738.67 किलो हो गई है।11 सितंबर 2023 को यह 453.78 किलो थी। 10 अक्टूबर 2022 को गोल्ड बॉन्ड होल्डिंग 211.84 किलो थी। विशेषज्ञों के मुताबिक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कोई भी सीरिज लांच नहीं की गई है। कहा जा रहा है कि अभी कोई नई सीरीज जारी होने की संभावना भी नहीं दीख रही है। इसलिए डीमेट अकाउंट होल्डर सेकेन्ड्री मार्केट में प्रीमियम पर गोल्ड बॉन्ड खरीदते रहे हैं। बैंक ऑफ बड़ोदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि ऐसे निवेशक जो सोने की खरीद के झंझट में नहीं पड़ना चाहते वे गोल्ड बॉन्ड का रुख कर रहे हैं। |
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