अब महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज..
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
• यूपीए का नाम बदलकर किया इंडिया | • अगली बैठक मुंबई में, बनेगी 11 नेताओं की टीम, नया संयोजक चुना जाएगा |
नई दिल्ली, बेंगलुरू । चुनाव के दिन करीब आते ही पार्टियों की रणनीतिक गतिविधियां भी तेज हो गई हैं। केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियां गठबंधन के लिए लामबंद हो कर एक साथ जुटी हैं और इस बार उन्होंने अपनी गठबंधन का नाम भी यूपीए से बदल कर इंडिया कर लिया है। बेंगलुरू में 18 जुलाई मंगलवार को 26 छोटी बड़ी पार्टियां एक साथ आई और उनकी बैठक हुई। बैठक के बाद साफ हो गया कि अगला चुनाव एडीए बनाम इंडिया होने जा रहा है।
बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जब उपस्थित नेताओं के समक्ष गठबंधन का नया नाम – इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस यानी भारतीय राष्ट्रीय लोकतांत्रिक विकासशील गठबंधन ( आईएनडीआईए) रखने का प्रस्ताव रखा तो सभी ने इस पर अपनी सहमति दे दी। वैसे ऐसे गठबंधनों में अहम सवाल सीटों के बटवारे का ही होता है और विपक्ष अभी सीटों के बटवारे का पेचीदा सवाल हल नहीं कर सका है लेकिन उसने जनता को यह संदेश दे दिया है कि वर्ष 2024 के चुनावी महासमर में वह टीम इंडिया के बतौर मैदान में उतरने को तैयार है।
जैसा कि इस नए गठबंधन के नाम से ही जाहिर है इसे ही इस महागठजोड़ का मकसद और नरेटिव माना जा रहा है। इस नाम में ही संविधान व लोकतंत्र की रक्षा, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की अवधारणा शामिल है। कुछ लोग इसे सियासी पिच पर विपक्ष का पहला बाउंसर भी नाम दे रहे हैं। बैठक में तय किया गया कि जल्द ही इंडिया गठजोड़ की तीसरी बैठक मुंबई में होगी जिसमें समन्यवय और आगे की कार्ययोजना तैयार करने के लिए 11 नेताओं की टीम गठित की जाएगी। कहा गया है कि इन्हीं में से किसी एक को संयोजक चुना जाएगा।
सीट बटवारे जैसे अहम सवाल पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का कहना है कि इसमें कोई समस्या नहीं आएगी। आने वाले दिनों में नेता आपस में बात कर तय कर लेंगे।
इस बैठक में एक संकल्प भी पारित किया गया जिसमें संविधान और लोकतंत्र की सुरक्षा, सामाजिक व आर्थिक न्याय, देश में बढ़ते घृणा के माहौल और मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दों का जिक्र करते हुए एक अच्छा शासन देने का वादा किया गया है। उध्दव ठाकरे ने तो अपने उद्बोधन में स्वीकार भी किया कि भले ही विभिन्न दलों की विचारधारा एक न हो पर देश को बचाने के लिए सभी एकजुट होकर लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश की आजादी खतरे में है लेकिन हम सभी दल जनता को बताना चाहते हैं कि उन्हें डरने की जरूरत नहीं है... देश को बचाने के लिए हम सब मिलकर साथ लड़ रहे हैं क्योंकि हम हैं न। राहुल गांधी ने कहा कि यह दो गठबंधनों नहीं बल्कि संविधान भारत की सोच और उसकी आवाज को बचाने की लड़ाई है। यह एक वैचारिक युध्द है।
माना जा रहा है कि अगली या तीसरी बैठक मुंबई में करने की योजना भी एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है क्योंकि महाराष्ट्र में अभी शिवसेना और एनसीपी में बड़ी टूट हुई है। राज्य में विपक्ष का महाविकास अघाड़ी अब भी पूरी शिद्दत के साथ एकजुट है और वह मुंबई की बैठक के जरिये अपनी ताकत और हौसले को भी दिखाना चाहता है। बैठक के बाद एक संकल्प भी पारित किया गया जिसमें 26 दलों के नेताओं के हस्ताक्षर भी हैं। इसमें कहा गया है कि भारतीय गणतंत्र के चरित्र पर व्यवस्थित तरीके से गंभीर हमला हो रहा है। वर्तमान में देश इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण मोड़ पर है। बैठक में देश के सामने एक वैकल्पिक राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक एजेंडा पेश करने के संकल्प के साथ शासन की शैली बदलने का वादा किया गया।
विपक्षी एकता से डरी हुई है भाजपा- सीएम बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 26 विपक्षी दलों की साझा बैठक लोकतंत्र को बचाने के लिए एक अहम बैठक है। यह 2024 के मद्देनज़र यह बैठक महत्वपूर्ण है। इस बैठक से घबराई भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने भी आनन फानन में जवाबी बैठक बुला ली यही साबित करता है कि भाजपा और सहयोगी दल विपक्षी एकता की कोशिशों से ही कितना घबराए हुए हैं।
मोदी के भय से जुटे विपक्षी- साव
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव ने बेंगलुरु में सजे विपक्षी दरबार पर तंज कसते हुए कहा कि नीतिश कुमार और तेजस्वी यादव ने पहले पटना में मंच सजाया जिसे रातों रात सोनिया राहुल औऱ खड़गे ने हड़प लिया। अब यह प्रधानमंत्री मोदी का भय है कि सभी विपक्षी नेता अपनी पुरनी शत्रुता भूलकर एक होने का नाटक कर रहे हैं।
■ भाजपा ने दोनों राज्यों में लगाई सौगातों -वादों की झड़ी ■ विपक्षी खेमा भी सक्रिय हुआ ■ इन दोनों राज्यों में चुनाव नवंबर में होने की चर्चा
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं । हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी धर्म या व्यवसाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है फिर वह गुरूद्वारा हो, दरगाह या फिर मंदिर, तो उसे हटाना ही पड़ेगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं । - जस्टिस बी.आर. गवई
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