किसानों की आय बढ़ाने व खाद्य सुरक्षा के लिए एक लाख करोड़, रेल कर्मियों को बोनस
■ केन्द्रीय कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले
● लगातार पानी छोड़े जाने से तेजी से घट रहा जल स्तर ● मई -जून की भीषण गर्मी का सामना करना है बाकी
रायपुर, धमतरी। प्रदेश के सबसे बड़े बांध गंगरेल बांध में जलस्तर चिंता का विषय बन गया है। दिनो दिन स्तर गिरता जा रहा है। बीते एक पखवाड़े में गंगरेल जलाशय के जल भंडारण में चार फीसदी तक की गिरावट आई है। वहीं बांध में भी चार टीएमसी उपयोगी पानी ही शेष बचा है जबकि अभी तो मई -जून की भीषण गर्मी का सामना करना बाकी है। ऐसी स्थिति में पानी की कमी की समस्या को लेकर लोगों की चिंता बढ़ने लगी है। बताया जा रहा है कि बांध बनने के बाद से ऐसा पहली बार हो रहा है कि अप्रैल के महीने में गंगरेल में सिर्फ चार टीएमसी पानी ही शेष है।
आने वाले मई और जून के महीने में भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है। जाहिर है ऐसी स्थिति में लोगों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। गौरतलब है कि गंगरेल बांध में 27 टीएमसी उपयोगी पानी सहित कुल जलभराव क्षमता 32.150 टीएमसीहै। भिलाई स्टील प्लांट, रायपुर व धमतरी नगर निगम के लिए पानी आरक्षित रखने के अलावा सिंचाई और निस्तारी के लिए भी इस बांध से पानी छोड़ा जाता रहा है। वर्तमान में 7 रेडियल गेट पेनस्टाक यूनिट और हेड रेगुलेटर के माघ्यम से कुल 6 हजार 250 क्यूसेक पानी बांध से छोड़ा जा रहा है। वहीं रूद्री से महानदी मुख्य नहर के माध्यम से करीब 3 हजार क्यूसेक पानी निस्तारी के लिए डिस्चार्ज किया जा रहा है।
खरीफ फसल सिंचाई और अन्य प्रयोजनों के लिए पानी छोड़ने के साथ ही वर्तमान में लगातार पानी दिये जाने से गंगरेल बांध में जलभराव की स्थिति गंभीर होती जा रही है। वर्तमान में 4.127 टीएमसी उपयोगी पानी समेत कुल 9.198 टीएमसी पानी बांध में मौजूद है।
दो दशक पहले भी थे गंभीर हालात जल संसाधन विभाग के कुल रिटायर्ड अधिकारियों के अनुसार गंगरेल बांध के डेड स्टोरेज में आने का मतलब बांध में कुल 5 टीएमसी पानी रहने के बाद इस पानी को उपयोग के लिए बाहर ला पाना काफी मुश्किल है। पेनस्टाक यूनि़ट के माध्यम से ही पानी को बाहर लाया जा सकता है पर तकनीकी रूप से ऐसा करना बहुत मुश्किल भरा होगा। इससे पानी के साथ रेत के भी बाहर आने की आशंका रहेगी और यदि ऐसा होता है तो पावर प्लांट के मशीनों को भी नुकसान हो सकता है। इसलिए अभी के हालात में इतना जोखिम उठाकर पानी बाहर लाने की संभावना नजर नहीं आ रही है। इससे पहले करीब 2 दशक पूर्व इसी बांध में मात्र 7 टीएमसी उपयोगी पानी बचा था। उस समय प्रदेश के कुछ जिलों में रबी फसल सूखने के साथ ही निस्तार का संकट भी गहरा गया था। तब कांग्रेसी नेता धनेन्द्र साहू की अगुवाई में गंगरेल बांध से पानी छोड़ने के लिए आंदोलन भी किया गया था। हालात की गंभीरता को देखते हुए तब की स्थिति में भी लगभग 3 टीएमसी पानी गंगरेल बांध से छोड़ना पड़ा था। | सहायक बांधों में भी सिर्फ 6 टीएमसी पानी ही शेष गंगरेल बांध,जिले में मौजूद सहायक बांधों दुधावा, माड़मसिल्ली और सोंढूर के छोटे बांधों पर निर्भर है। गंगरेल में पानी की कमी होने पर इन्हीं सहायक बांधों से पानी को शिफ्ट किया जा सकता है। लेकिन वर्तमान में इन तीनों ही बांधों में सिर्फ 6 टीएमसी पानी ही शेष बच रह गया है। दुधावा बांध में 1.670 टीएमसी, माड़मसिल्ली बांध में 2.015 टीएमसी और सोंढ़ूर बांध में 2.559 टीएमसी उपयोगी पानी ही बचा हुआ है और इसे ही जरूरत पड़ने पर गंगरेल बांध में स्थानांतिरत किया जा सकता है। | तेजी से कम हो रहा भंडारण गंगरेल बांध में बीते पखवाड़े में जल स्तर चार फीसदी तक गिरा है। जल भंडारण में तेजी से गिरते स्तर और पानी की लगातार कमी को विभागीय अफसर गंभीर मान रहे हैं। बीते 4 अप्रैल को यहां 36.78 फीसदी तक जल भंडारण था जो 19 अप्रैल की स्थिति में केवल 32.50 शू्न्य तक पहुंच गया है। |
■ केन्द्रीय कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले
● खाद्य तेल 13 दिन में 30 रुपये, प्याज 4 माह में 35 रुपये और आटा 6 महीने में 7 रुपये महंगे हो गए ● सरकार ने किसानों को राहत तो दी पर मुनाफाखोरों ने बाजार में दाम ज्यादा बढ़ाए इन्हे नहीं रोका..
■ हरेली छत्तीसगढ़ी लोक का सबसे लोकप्रिय और सबसे पहला त्यौहार है। ■ पर्यावरण को समर्पित यह त्यौहार छत्तीसगढ़ी लोगों का प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण दर्शाता है।
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