• 28 Apr, 2025

शिखर की ठंडी हवाएं हिमनद पिघलने से रोक रहीं..

शिखर की ठंडी हवाएं हिमनद पिघलने से रोक रहीं..

● हिमालय की उम्मीद- ● शिखर की ठंडी हवाएं हिमनद पिघलने से रोक रहीं.. ● तेज धूप से बर्फ का वायु द्रव्यमान नीचे की ओर बह रहा

न्यूयार्क ( ए)। ग्लोबल वार्मिंग ने तो पूरी दुनिया के मौसम चक्र ही बदल दिए हैं। इसके कारण हिमालय श्रेणी के पर्वत तेजी से पिघल रहे हैं, लेकिन दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर हुए एक आश्चर्यजनक बदलाव ने नई उम्मीद जगा दी है। नेचर जियोसाइंस जर्नल में प्रकाशित ताजा शोध रिपोर्ट के मुताबिक एवरेस्ट पर ज्यादा उंचाई वाले बर्फीले हिस्से पर जब तेज धूप पड़ती है तो बर्फ के पिछले हिघले हिस्से से उठने वाली वाष्प ठंडी हवाओं के साथ तेजी से पहाड़ की ढलानों में नीचे की ओर बहने लगती हैं। ये हवां ग्लेशियर के निचले हिस्से के लिए सुरक्षा कवच बन गई हैं , और इससे  उनके पिघलने की दर धीमी पड़ गई है।

    इस अध्ययन के प्रमुख ग्लेशियोलॉजिस्ट ( हिमनद विज्ञानी विशेषज्ञ)  फ्रांसेस्का पेलिसियोटी ने बताया कि गर्म होती जववायु हिमालय के ग्लेशियरों के ऊपर आसपास की हवा और बर्फ की सतह के संपर्क में आने वाली ठंडी हवा के बीच एक बड़ा तापामान अंतर पैदा करती है। इससे ग्लेशियर का वायु द्रव्यमान ज्यादा ठंडा होने लगता है और यही द्रव्यमान हवा के रूप में नीचे घाटियों में बहने लगता है जो ग्लेशियरों के निचले क्षेत्रों और पारिस्थितिकीय तंत्र को ठंडा करता  है।

    इससे इतना तो साफ है कि गर्म जलवायु ग्लेशियरों में ठंडी प्रतिक्रिया बढ़ा रही है। अब चुनौती तो यह जानने की है कि क्या हिमालय के ग्लेशियर इस स्व संरक्षित शीतलन प्रभाव को बचाए रख सकते हैं या नहीं।