• 28 Apr, 2025

तेजिंदर की कविता

तेजिंदर की कविता

जन्मदिन 20 सितंबर को विशेष

उन्हें शक है..
उन्हें शक है कि 
मैं मुस्कुराता हूँ 
रात रात भर जाग कर ।

कड़े पहरे का इंतजाम है 
खिड़कियों के बाहर
उनके बनाये नियमों के मुताबिक
रात में अकेले बैठकर मुस्कुराना अपराध है।

अपनी बैठकों में 
वे पूछते हैं 
बार-बार यह एक सवाल
इतने सख्त नियमों के रहते 
कोई क्यों मुस्कुराता है, आधी रात
जब हमें नींद आती है।

उन्हें शक है कि 
पानी का एक बहुत बड़ा पोखर 
मैंने अपनी जेब में छिपा रखा है
जिसे नदी मे तब्दील कर सकता हूँ  
कभी भी।

वे डरे हुए हैं कि
पानी शहंशाह का हुक्म क्यों नहीं मानता
हर तलाशी के बाद 
फिर भर आता है 
मेरी मुस्कुराहट में।

उन्हें शक है कि 
एक दिन मैं 
इस पानी का इस्तेमाल करूंगा
उनके खिलाफ।

मेरी मुस्कुराहट
मेरे भीतर
उनके विरुध्द 
लगातार बह रही एक नदी है
वे इस नदी से डरते हैं..।

नदी से डर कर वे भागते हैं 
अपने-अपने बंद कमरों में
और देखते हैं 
आल्मारियों में सम्हाल कर रखे नक्शे
और दुबक जाते हैं
अपने अपने तहखानों में ।

 
यह कितना अजीब है कि 
तहखानों की तार बेतार व्यवस्था पर
अभी भी 
बहुत भरोसा है उन्हें
जबकि नदी उनके पीछे है।

उन्हें शक है मुझ पर
और मैं आश्वस्त हूँ कि 
मेरी मुस्कुराहट 
अभी भी उनकी नींद में 
खलल डालती है।