ने बनाई है। मुझे लगता है, यह तस्वीर स्थूल छत्तीसगढ़ की सूक्ष्म आत्मा को पूरा करती है। हरियर लुगरा (साड़ी), चार के बजाय दो हाथ जिनमे धान की बालियां और हंसिया। यह एक लौकिक तस्वीर है, यह एक कमेलिन की मुकम्मल तस्वीर है। हमारी महतारियां आदिम युग से इसी तरह तो दिखती रही हैं। माथे पर पत्तों का मुकुट छत्तीसगढ़ की समृद्ध प्रकृति को व्यक्त करता है। कमर में करधन, गले मे सूता और मोहरमाला, गोड़ में सांटी यहां की संस्कृति को जाहिर करती है। बाएं हाथ मे बाली के साथ हंसिया है जो कर्मशीलता का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ की इसी आत्मा और देह को बरसों पहले नरेंद्र देव वर्मा जी ने इस गीत में कितना पूर्ण और सार्थक लिखा था जो आज छत्तीसगढ़ का राज्य गीत है -
अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार
इँदिरावती हा पखारय तोर पईयां
महूं पांवे परंव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
सोहय बिंदिया सहीं, घाट डोंगरी पहार
चंदा सुरूज बनय तोर नैना
सोनहा धाने के अंग, लुगरा हरियर हे रंग
तोर बोली हावय सुग्घर मैना
अंचरा तोर डोलावय पुरवईया
महूं पांवे परंव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
रयगढ़ हावय सुग्घर, तोरे मउरे मुकुट
सरगुजा अउ बिलासपुर हे बइहां
रयपुर कनिहा सही घाते सुग्घर फबय
दुरूग बस्तर सोहय पैजनियाँ
नांदगांव नवा करधनिया
महूं पांवे परंव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
एक नवंबर को छत्तीसगढ़ 23 वर्ष का हुआ। इसकी यह नौजवानी बेहतर भविष्य गढ़ सकेगी, ऐसी आशा है। इसे अब जिम्मेदारी के साथ अपने फैसले लेने आना होगा। कोई भी देश या राज्य वहां के लोगों से विकसित या पिछड़ा बनता है। अतः यह हमारे ऊपर है कि हम इसे कैसा बनाते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद जहां विकास ने गति पकड़ी, वहीं कुछ चुनौतियां हमारे सामने खड़ी हैं। अतः यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन चुनौतियों से निपटें। प्रकृति और संस्कृति से समृद्ध छत्तीसगढ़ को उचित अभिव्यक्त करते इस चित्र में महतारी दाएं वरदहस्त से छत्तीसगढ़ की उदारता, सदाशयता और सरलमना भाव से राज्य को, देश को सुखी रहने का आशीष दे रही है। यह स्नेह बना रहे। हम राज्य को, समाज को, देश दुनिया को प्रेमपूर्ण संस्कृति और प्रकृति से समृद्ध बनाये रख सकेंगे, यही आशा है, कामना है। इस अवसर पर कवि Sanjay Alung की कविता 'छत्तीसगढ़' प्रस्तुत है।
शुद्ध और चमकदार है वह
कोमल सेमल पुष्प की तरह
मुलायम है वह
चिकनी हैं उसकी पंखुड़ियां
भरी है शुभ्र भावना उसमे
यह प्यार देता है
दूर तक उड़कर
सुबह की ओस की तरह
पवित्रता है उसकी
बस उसे चाहिए
गहरे हरे रंग की पत्तियों की पनाह!
• बहुत बधाई, और शुभकामनाएं आप सभी को। मोर धरती मैय्या, जय होवय तोर...
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